छत्तीसगढ़ का सीडी कांड: सीबीआई ने राज्य से बाहर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में दी याचिका

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित सीडी कांड के मामले में सीबीआई ने इसकी सुनवाई राज्य से बाहर किसी न्यायालय में करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। पूर्ववर्ती रमन सरकार के ताकतवर कैबिनेट मंत्री रहे राजेश मूणत की कथित तौर पर बनाई गई अश्लील सीडी के मामले में वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके सलाहकार  विनोद वर्मा को जेल भी जाना पड़ा था। सीबीआई द्वारा छत्तीसगढ़ से बाहर किसी न्यायालय में सीडी कांड मामले को सुनवाई के लिए स्थानांतरित किए जाने की याचिका से एक बार फिर से राज्य का माहौल गर्म हो गया है। जानकारों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच में सीआरपीसी की धारा 406 के तहत सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में यह आवेदन दिया है। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट एक हाई कोर्ट से दूसरे हाई कोर्ट या हाई कोर्ट के अधीन किसी दूसरे कोर्ट के समान न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई के लिए इसे स्थानांतरित कर सकता है। उल्लेखनीय है कि 27 अक्टूबर, 2017 को कथित तौर पर मंत्री वाली उक्त अश्लील सीडी का मामला प्रदेश में सामने आया था। उस वक्त  तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष  भूपेश बघेल के बंगले से  इस मामले की शुरुआत हुई । उन्होंने सुबह  अपने बंगले में एक प्रेस वार्ता आयोजित कर मीडिया को एक सीडी बांटी । इस सीडी में एक आपत्तिजनक वीडियो था, जिसे लेकर दावा किया गया  कि महिला के साथ  बेहद आपत्तिजनक स्थिति में दिखने वाला व्यक्ति  मंत्री राजेश मूणत है । इसके तहत जमकर हंगामा मचा था और मंत्री राजेश मूणत ने इस मामले में थाने में मामला भी दर्ज कराया था। तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत ने इसका खंडन करते हुए सीडी को फर्जी बताया था और मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की थी। इस मामले में पुलिस ने विनोद वर्मा को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने यह दावा भी किया कि विनोद वर्मा के निवास से इस वीडियो क्लिप की 500 सीडी और 2 लाख रुपये जब्त किए गए हैं। यह कार्रवाई प्रकाश बजाज नामक एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर की गई थी। पत्रकार विनोद वर्मा उस समय भूपेश बघेल के साथ रहकर उनका मीडिया का काम देख रहे थे। 17 नवंबर, 2017 को कांग्रेस की मांग पर निष्पक्ष जांच के लिए मामले की कमान सीबीआई को सौंपी। सीबीआई ने मामले में एसआईटी की जांच के आधार पर प्रक्रिया शुरू की और 15 सौ कॉल डिटेल्स खंगाले गए। इस मामले में करीब 100 लोगों को गवाह बनाया गया । सीबीआई ने  मामले की जांच कर विनोद वर्मा के साथ ही  विजय पंड्या, कैलाश मुरारका, विनोद भाटिया, रिंकू खनूजा और तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल को भी आरोपित बनाया। 6 जून, 2018 को आरोपित रिंकू खनूजा ने आत्महत्या कर ली।  24 सितम्बर को  सीबीआई की अदालत में  भूपेश सहित अन्य आरोपितों को पेश होने के आदेश दिया गया । इस दौरान  विनोद वर्मा पर  ब्लैकमेलिंग के आरोप को प्रकाश बजाज साबित नहीं कर पाए और उन्हें जमानत मिल गई । तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने जमानत लेने से  इनकार कर दिया और जेल चले गए। विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के सत्तारूढ़ होने के बाद मामला धीमा पड़ गया। अब इस मामले में सीबीआई द्वारा छत्तीसगढ़ से बाहर मामले की सुनवाई किए जाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाने से राज्य का माहौल फिर से गर्म होने के आसार है। इसका दूरगामी प्रभाव छत्तीसगढ़ की राजनीति पर पड़ना तय है।

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